Friday 12 May 2023

भीमद्वारा धृतराष्ट्र के बारह पुत्रों का वध, श्रीकृष्ण और अर्जुन की बातचीत तथा अर्जुन द्वारा त्रिगर्तों का संहार

संजय कहते हैं_महाराज ! हाथियों के समुदाय का नाश हो जाने पर आपकी अन्य सेनाओं का संहार करने लगे। वे क्रोध में भरे हुए दण्डधारी यमराज की भांति हाथ में गदा लिये रणभूमि में विचर रहे थे। उस समय ढ़ूंढ़ने पर भी जब दुर्योधन का कहीं पता न लगा तो मरने से बचे हुए आपके पुत्र भीमसेन पर टूट पड़े। दुर्मर्षण, श्रुतान्त, जैत्र, भूरीबल, रवि, जयत्सेन, सुजात, दुविर्षह, दुष्प्रधर्ष तथा श्रुतर्वा ने धावा करके भीम को चारों ओर से घेर लिया। तब भीमसेन पुनः अपने रथ पर जा बैठे और आपके पुत्रों के मर्मस्थानों में तीखे बाणों का प्रहार करने लगे। उन्होंने एक क्षुरप्र मारकर दुर्मर्षण का मस्तक काट गिराया। फिर एक भल्ल के द्वारा श्रुतान्त का अन्त कर दिया। तत्पश्चात् हंसते-हंसते जयत्सेन पर नाराच पर प्रहार किया और उसे रथ की बैठक से भूमि पर गिरा दिया। गिरते ही उसके प्राण निकल गये। यह देख श्रुतर्वा कुपित हो उठा और उसने भीम को सौ बाण मारे। अब भीमसेन का क्रोध और भी बढ़ गया। उन्होंने जैत्र, भूरिबल और रवि_इन तीनों को अपने तीखे बाणों का निशाना बनाया। बाणों की चोट खाकर वे तीनों महारथी प्राणहीन होकर रथ से नीचे गिर पड़े। इसके बाद भीम ने एक तीखे नाराच से दुर्विमोचन को मौत के घाट उतार दिया। फिर दुष्प्रधर्ष और सुजात को दो_दो बाण मारकर यमलोक भेज दिया। यह देख दुर्विषह भीम पर चढ़ आया, उसे आते देख भीम ने उसके ऊपर भल्ल का प्रहार किया, उससे आहत होकर वह सबके देखते-देखते रथ से घिरा और मर गया। श्रुतर्वा ने जब देखा कि भीमसेन ने अकेले ही मेरे बहुत_से भाइयों का काम तमाम कर डाला तो अमर्ष में भरकर धनुष की टंकार करता हुआ वह उनपर टूट पड़ा वह उन्हें अपने बाणों का निशाना बनाने लगा। उसने भीमसेन के धनुष को काटकर उन्हें भी बीस बाणों से घायल कर डाला। तब महारथी भीम ने दूसरा धनुष उठाया और आपके पुत्र पर बाणों की वर्षा आरम्भ कर दी। श्रुतर्वा ने भी कुपित होकर भीम की भुजाओं और छाती में बाण मारे। इससे भीम बहुत घायल हो गये। उन्होंने अत्यंत रोष में भरकर श्रुतर्वा के सारथि और चारों घोड़ों को यमलोक भेज दिया। रथहीन होने पर श्रुतर्वा ढ़ाल और तलवार लेने लगा_इतने में ही भीम ने क्षुरप्र मारकर उसका मस्तक धड़ से अलग कर दिया। उसके मरते ही आपके सैनिक भय से विह्वल हो गये और युद्ध की इच्छा से भीमसेन की ओर दौड़े। भीमसेन भी उनका सामना करने के लिये आगे बढ़े। भीम के पास पहुंचकर उन वीरों ने उन्हें चारों ओर से घेर लिया। तब भीमसेन अपने तीखे बाणों से उन्हें  पीड़ा देने लगे उन्होंने कवच से सुसज्जित पांच सौ महारथियों का काम तमाम करके सात सौ हाथियों का सफाया कर डाला। फिर आठ सौ घुड़सवारों और दस हजार पैदलों को मौत के घाट उतारकर वे विजयश्री से सुशोभित होने लगे। जिस समय भीमसेन आपके पुत्रों का संहार कर रहे थे, उस समय आपके सैनिकों का उनकी ओर आंख उठाकर देखने का भी साहस नहीं होता था। उन्होंने समस्त कौरवों और उनके अनुचरों को मार भगाया; फिर ताल ठोंककर उसकी विकट आवाज से बड़े_बड़े गजराजों को भयभीत करने लगे। उस लड़ाई में आपके बहुत _से सिपाही काम आये। जो बचे थे उनकी हिम्मत भी टूट गयी थी। महाराज ! दुर्योधन और सुदर्शन_ये ही दो आपके पुत्र बचे हुए थे। ये दोनों घुड़सवारों के बीच खड़े थे। दुर्योधन को वहां खड़ा देख देवकीनन्दन भगवान् श्रीकृष्ण ने कहा_'अर्जुन ! अब शत्रुओं के अधिकांश योद्धा मारे जा चुके हैं। वह देखो, सात्यकि सृंजय को कैद करके लिये आ रहा है। उधर कृपाचार्य, कृतवर्मा और अश्वत्थामा_ये तीनों राजा दुर्योधन को अलग छोड़कर रण में डटे हुए हैं। इधर, प्रभद्रकोंसहित दुर्योधन की सेना का संहार करके पांचालराजकुमार धृष्टद्युम्न अपनी सुन्दर कान्ति से शोभायमान हो रहा है। और वह है दुर्योधन, जो अपनी सेना का व्यूह बनाकर रण में खड़ा है। अर्जुन ! कौरव पक्ष के योद्धा तुम्हें आये देख जबतक भाग नहीं जाते, उसके पहले ही दुर्योधन को मार डालो। इसकी सेना बहुत तक गयी है, अतः इस समय आक्रमण करने से यह पापी छूटकर जा नहीं सकता।' श्रीकृष्ण की बात सुनकर अर्जुन ने कहा_'माधव ! धृतराष्ट्र के सभी पुत्र भीमसेन के साथ से मारे जा चुके हैं, ये दो, जो अभी बचे हुए हैं, ये भी रह नहीं जायेंगे। शकुनि की सेना में अभी भी पांच सौ घुड़सवार, दो सौ रथी, सौ से कुछ अधिक हाथी और तीन हजार ही पैदल बच गये हैं। दुर्योधन की सेना में अश्वत्थामा, कृपाचार्य, त्रिगर्तों, उलूक, शकुनि, कृतवर्मा आदि कुछ ही योद्धा बचे हैं, बाकी सब मारे गये। अब इनका भी का काल आ ही पहुंचा है। आज वे मेरे सामने आकर भाग नहीं जायेंगे, वे देवता ही क्यों न हो, उन सबको मार डालूंगा। आज सारा झगड़ा समाप्त हो जायेगा। दुर्योधन भी यदि मैदान छोड़कर भाग नहीं गया तो आज अपनी उद्दीप्त राज्यलक्ष्मी तथा प्राणों से हाथ धो बैठेगा। आप घोड़े बढ़ाइये, मैं सबको अभी मारे डालता हूं।' अर्जुन के ऐसा कहने पर भगवान् ने दुर।योधन की सेना की ओर घोड़े बढ़ाये, भीमसेन और सहदेव ने भी अर्जुन का साथ दिया। तीनों महारथी दुर्योधन को मार डालने की इच्छा से सिंहनाद करते हुए आगे बढ़े। उस समय आपके पुत्र सुदर्शन ने भीमसेन का सामना किया। सुवर्णा और शकुनि अर्जुन से लड़ने लगे। दुर्योधन घोड़े पर सवार हो सहदेव से जा भिड़ा। उसने बड़ी फुर्ती के साथ सहदेव के मस्तक पर एक प्रास से प्रहार किया। सहदेव उस चोट से मूर्छित होकर रथ के पिछले भाग में बैठ गया, उसका सारा शरीर खून से तय हो गया। फिर थोड़ी ही देर में, जब होश हुआ, तो वह क्रोध में भरकर दुर्योधन पर तीखे बाणों की बौछार करने लगा। उधर, अर्जुन भी घोड़ों की पीठ पर बैठे हुए योद्धाओं के मस्तक काट_काटकर गिराने लगे। उन्होंने बहुत_से बाण मारकर सारी सेना का संहार कर डाला। तदनन्तर त्रिगर्तों की रथ सेना पर धावा किया। उन्हें आये देख सारे त्रिगर्त महारथी एक साथ होकर श्रीकृष्ण तथा अर्जुन पर बाणों की वर्षा करने लगे। तब अर्जुन ने सत्कर्मा को एक क्षुरप्र से घायल कर उसके रथ का हरसा ( ईषा) काट डाला, फिर दूसरे क्षुरप्र से उसका मस्तक भी धड़ से अलग कर दिया। इसके बाद उन्होंने सब योद्धाओं के सामने ही सत्येषु के पकड़कर मार डाला। तत्पश्चात् प्रस्तर देश के अधिपति सुवर्णा को तीन बाणों से बींधकर वहां एकत्रित हुए समस्त रथियों को अपने बाणों का निशाना बनाया। फिर, सुवर्णा को सौ बाण मारकर उसके घोड़ों को भी घायल किया, इसके बाद उन्होंने हंसते _हंसते सुवर्णा पर यमदण्ड के समान एक भयंकर बाण चलाया। उससे उसकी छाती छिद गयी और वह प्राणहीन होकर पृथ्वी पर गिर पड़ा। इस प्रकार सुवर्णा को मारकर अर्जुन ने उसके पैंतालीस पुत्रों को भी मौत के घाट उतार दिया। फिर उसके समस्त अनुयायियों को यमलोक भेजकर उन्होंने मरने से बची हुई कौरव_सेना में प्रवेश किया। दूसरी ओर भीमसेन हंसते-हंसते बाणों की वर्षा करके सुदर्शन को ढंक दिया, अब वह दिखायी नहीं पड़ता था। प्रहार करते _करते उन्होंने एक तीखे क्षुरप्र से सुदर्शन का मस्तक धड़ से अलग कर दिया। यह देख उसके अनुचरों ने भीम को चारों ओर से घेरकर उनपर बाणों की वर्षा आरम्भ कर दी। तब भीमसेन ने तेज किये हुए बाणों की वर्षा करके उन्हें सब ओर से आच्छादित कर दिया और एक ही क्षण में सबका संहार कर डाला। उस समय परस्पर प्रहार करते हुए दोनों दलों के योद्धाओं में कोई अन्तर नहीं रह गया, दोनों सेनाएं मिलकर एक_सी हो गयीं।



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