Sunday 23 April 2023

दोनों सेनाओं का घोर संग्राम और शकुनि का कूट_युद्ध

संजय कहते हैं_महाराज ! इस प्रकार यह घोर संग्राम चल ही रहा था कि पाण्डवों ने आपकी सेना में भगदड़ डाल दी। उस समय आपका पुत्र दुर्योधन बड़ी कोशिश से अपने सैनिकों को रोककर पाण्डव_सेना से युद्ध करने लगा। इधर, राजा युधिष्ठिर ने तीन बाणों से कृपाचार्य को बींधकर चार से कृतवर्मा के घोड़ों को मार डाला। तब कृपाचार्य को तो अश्वत्थामा ने अपने रथ पर बिठाकर अन्यत्र पहुंचा दिया; किन्तु कृपाचार्य उनका सामना करते रहे। उन्होंने युधिष्ठिर को आठ बाणों से बींध दिया। तदनन्तर, दुर्योधन ने सात सौ रथियों को राजा युधिष्ठिर का सामना करने के लिये भेजा। इन रथियों पर युधिष्ठिर ने चारों ओर से इतनी बाणवर्षा की कि वे अदृश्य हो गये। उनकी यह करतूत शिखण्डी आदि महारथियों से नहीं सही गयी। वे अपने _अपने रथों पर बैठकर युधिष्ठिर की रक्षा के लिये वहां पहुंचे। फिर कौरव तथा पाण्डव योद्धाओं में भयंकर युद्ध छिड़ गया, पानी की तरह खून बहाया जाने लगा, यमलोक की आबादी बढ़ने लगी। उस समय पांचालों और पाण्डवों ने दुर्योधन के भेजे हुए उन सात सौ रथियों को मौत के घाट उतार दिया। तत्पश्चात् पाण्डवों के साथ आपके पुत्र ने महान् युद्ध छेड़ा, वैसा पहले कभी न देखा गया और न सुना ही गया था। चारों ओर मर्यादा तोड़कर लड़ाई हो रही थी। दोनों ओर के योद्धा बेतरह मारे जा रहे थे। इस समय शकुनि ने कौरव_योद्धाओं से कहा_'वीरों ! तुमलोग सामने से युद्ध करो और मैं पीछे से पाण्डवों का संहार करता हूं।' इस सलाह के अनुसार जब हमलोग पीछे की ओर बढ़े तो मद्रदेश के योद्धा अत्यंत प्रसन्न होकर किलकारियां भरने लगे। इतने में ही पाण्डव फिर हमारे सामने आये और धनुष टंकारते हुए हमलोगों पर बाण बरसाने लगे। थोड़ी ही देर में मद्रराज की सेना मारी गयी_यह देख दुर्योधन की सेना फिर पीट दिखाकर भागने लगी। तब शकुनि ने कहा_'पापियों ! तुम्हारे भागने से क्या होगा ? लौटकर युद्ध करो।' उस समय शकुनि के पास दस हजार घुड़सवारों की सेना मौजूद थी। उसी को लेकर वह पाण्डव_सेना के पिछले भाग की ओर गया और सब मिलकर बाणों की वर्षा करने लगे। इस आक्रमण से पाण्डवों की विशाल सेना का मोर्चा टूट गया, वह तितर_बितर हो गयी। राजा युधिष्ठिर ने अपनी सेना की यह अवस्था देख सहदेव से कहा_'भैया ! जरा उस मूर्ख शकुनि को तो देखो, वह पीछे की ओर से पंप अपने झ प्रहार करके पाण्डव_सेना का संहार कर रहा है। अब तुम द्रौपदी के पुत्रों को साथ लेकर जाओ और शकुनि को मार डालो। तब तक मैं पांचालों के साथ रहकर कौरवों की रथ_सेना को भस्म करता हूं। धर्मराज की आज्ञा पाकर सात सौ हाथी सवार, पांच हजार घुड़सवार, तीन हजार पैदल, द्रौपदी के पांचों पुत्र तथा महाबली सहदेव_इन सबने शकुनि पर धावा किया। इस समय पीछे की ओर से आक्रमण करके पाण्डव_सैनिकों का संहार कर रहा था। इन योद्धाओं ने पहुंचकर शकुनि की सेना के बहुत_से घुड़सवारों को मार डाला। तब शकुनि थोड़ी ही देर तक सामना कर मरने से बचे हुए छः हजार घुड़सवारों के साथ भाग गया। तदनन्तर पाण्डव_सेना भी अपने बचे हुए सवारों के साथ लौट चली। द्रौपदी के पुत्र मतवाले हाथियों की सेना लेकर धृष्टद्युम्न के पास जा पहुंचे। शेष योद्धा भी जब इधर_उधर बैठ गये तो शकुनि धृष्टद्युम्न की सेना के पार्श्व भाग में आकर बाणवर्षा करने लगा। फिर तो आपके और शत्रुओं के सैनिक प्राणों के मोह छोड़कर घोर युद्ध करने लगे। सौ_सौ, हजार_हजार योद्धा एक साथ रणभूमि में गिरने लगे। तलवारों से कटे हुए मस्तक जब धरती पर गिरते थे तो ताड़ के फलों के गिरने की_सी धमाकों की_सी आवाज होती थी। कटे हुए शरीरों, आयुधों सहित भुजाओं और जंघाओं के गिरने का घोर शब्द सुनाई पड़ता था। इस युद्ध का वेग जब कुछ कम हुआ तो थोड़े से बचे हुए घुड़सवारों के साथ शकुनि पुनः पाण्डव_सेना पर टूट पड़ा। पाण्डवों ने भी फुर्ती दिखायी और पैदल, घुड़सवार तथा हाथी सवारों को साथ लेकर उसपर धावा कर दिया। पाण्डव विजय के इच्छुक थे, उन्होंने मण्डल बनाकर शकुनि को चारों ओर से घेरे लिया और उसे बाणों से बींधना आरंभ कर दिया। यह देख आपकी सेना के घुड़सवार, हाथीसवार, रथी और पैदल भी पाण्डवों की ओर दौड़े। उस समय जिनके शस्त्र क्षीण हो गये थे, ऐसे बहुत_से पैदल योद्धा लातों और घूसों से एक_दूसरे को मारकर धराशायी होने लगे। पाण्डव योद्धाओं ने जब अधिकांश सेना का संहार कर डाला तो शकुनि शेष सात सौ घुड़सवारों को साथ ले तुरंत दुर्योधन की सेना में पहुंचा और क्षत्रियों से पूछने लगा_'राजा कहां है ? योद्धाओं ने उत्तर दिया 'जहां से यह मेघ की गर्जना के समान तुमुल आवाज आ रही है, वहीं कुराज खड़े हैं, आप शीघ्रतापूर्वक जाइये, वहीं वे मिल जायेंगे।'
उसके ऐसा कहने पर शकुनि, जहां वीरों से घिरा हुआ दुर्योधन खड़ा था, वहीं गया। रथियों के बीच में राजा दुर्योधन को देखकर उसे बड़ी प्रसन्नता हुई और वह सब सैनिकों का हर्ष बढ़ाता हुआ दुर्योधन से कहने लगा_'राजन् ! मैंने पाण्डव _पक्ष के घुड़सवारों को परास्त कर दिया, अब तुम भी इस रथ सेना का संहार कर डालो, क्योंकि प्राण त्यागे बिना युधिष्ठिर हमारे वश में नहीं आ सकते। इनके द्वारा सुरक्षित रथ सेना का नाश हो जाने पर हम हाथियों और पैदलों का भी सफाया कर डालेंगे।शकुनि की बात सुनकर आपके सैनिक पुनः पाण्डव_सेना पर टूट पड़े। सबने धनुष उठाया और तर्कों का मुंह खोल दिया। कुछ ही देर में शूरवीरों के सिंहनाद के साथ ही उनके धनुष की भयंकर टंकारें सुनायी देने लगीं।

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