Thursday 18 August 2022

अर्जुन और भीमसेन के द्वारा कौरव_सेना का संहार, भीम के साथ से शकुनि का मूर्छित होना

संजय कहते हैं_महाराज ! जैसे देवराज इन्द्र ने हाथ में वज्र लेकर जम्भासुर को मारने के लिये यात्रा की थी, उसी प्रकार अर्जुन ने भी रथ में बैठकर विजय के लिये यात्रा की। उन्हें आते देख कौरव_पक्ष के नरवीर क्रोध में भरकर रथ, घोड़े, हाथी और पैदलों को साथ ले अर्जुन के सामने चढ़ आये। फिर तो त्रिलोकी का राज्य पाने के लिये जैसे असुरों के साथ जैसे देवताओं और भगवान् विष्णु का युद्ध हुआ, उसी प्रकार उन योद्धाओं के साथ अर्जुन का संग्राम होने लगा। वह संग्राम देह, प्राण और पापों का नाश करनेवाला था। उस समय कौरववीरों ने छोटे_बड़े जितने अस्त्रों का प्रयोग किया, उन सबको क्षुर, अर्धचन्द्र तथा तीखे भल्लों से अर्जुन ने अकेले ही काट डाला। इतना ही नहीं, उन्होंने उसके मस्तक और भुजाएं काटकर छत्र, चंवर, ध्वजा, घोड़े, रथ, पैदल तथा हाथी आदि को भी नष्ट कर दिया। वे सब पृथ्वी पर गिर पड़े। इस प्रकार धनंजय अपने वज्र के समान बाणों से शत्रुओं के घोड़े, हाथी और रथ आदि की धज्जियां उड़ाकर कर्ण को मार डालने की इच्छा से तुरंत उसके पास जा पहुंचे। उन्हें वहां देख आपके सैनिक रथी, घुड़सवार, हाथीसवार तथा पैदल की सेना साथ लेकर पुनः उनपर टूट पड़े और एक साथ होकर उन्हें पैने बाणों से बींधने लगे। तब अर्जुन ने भी अपने बाण उठाये और उनकी मार से हजारों रथियों, हाथी सवारों तथा घुड़सवारों को यमलोक भेज दिया। इस प्रकार जब कौरव महारथियों पर अर्जुन के बाणों की मार पड़ी तो वे भयभीत होकर इधर_उधर छिपने लगे। तो भी उन्होंने उनमें से चार सौ महारथियों को तीखे बाण मारकर यमलोक का अतिथि बना ही दिया। तरह_तरह के तीखे तीरों की चोट खाकर वे धैर्य खो बैठे और अर्जुन को छोड़कर सब ओर भाग निकले। इस प्रकार उस सेना को खदेड़कर अर्जुन ने सूतपुत्र की सेना पर धावा किया। इसी समय प्रतापी भीमसेन ने अर्जुन के शुभागमन का समाचार सुना। तो भी वे अपने प्राणों की परवाह न करके आपकी सेना को कुचलने लगे। उस समय उनके अलौकिक बल को देख कौरव_सैनिकों के होश उड़ गये। तब राजा दुर्योधन ने अपने महान् धनुर्धर योद्धाओं को आदेश दिया_वीरों ! मार डालो भीमसेन को, इसके मारे जाने पर मैं पाण्डवों की संपूर्ण सेना को मरी हुई ही समझता हूं।‘ राजाओं ने आपके पुत्र की आज्ञा स्वीकार की और भीमसेन को चारों ओर से घेरकर उनपर बाणों की वर्षा आरंभ कर दी। तब भीम ने भी बाणों की झड़ी लगाई और उस महासेना में दरार बनाकर वे घेरे से बाहर निकल आये। तत्पश्चात् उन्होंने दस हजार हाथियों, दो लाख दो सौ पैदलों, पांच हजार घोड़ों और एक सौ रथों का संहार करके खून की नदी बहा दी। महारथी भीम शत्रुओं की सेना में जिस ओर घुस जाते, उधर लाखों योद्धाओं का सफाया कर डालते थे। उनका यह पराक्रम देख दुर्योधन ने शकुनि से कहा_’मामाजी ! आप महाबली भीम को परास्त कीजिए, इसको जीत लेने पर मैं पाण्डवों की विशाल सेना को जीती हुई ही समझता हूं। यह सुनकर शकुनि ने महान् संग्राम करने के लिये तैयार हो अपने भाइयों को भी साथ दिया और भीमसेन के पास पहुंचकर उन्हें आगे बढ़ने से रोक दिया। अब भीमसेन शकुनि की ओर मुड़े। शकुनि ने उनकी छाती में बायें किनारे पर अनेकों तीखे नाराचों से प्रहार किया। वे भीम का कवच छेदकर शरीर के भीतर धंस गये। उनसे अत्यंत घायल होकर भीम ने बड़े रोष के साथ शकुनि पर एक बात चलाया, किन्तु शकुनि ने उसके सात टुकड़े कर डाले। फिर दो भल्लों से सारथि को और सात से भीमसेन को बींध डाला। इसके बाद एक भल्ल से ध्वजा और दो से छत्र काट दिया। फिर चार बाणों से भीम के चारों घोड़ों को भी घायल कर दिया।
तब भीमसेन को बड़ा क्रोध हुआ। उन्होंने सुबल_पुत्र पर लोहे की बनी हुई एक शक्ति चलायी। पास आते ही शकुनि ने उस शक्ति को हाथ से पकड़ लिया और फिर भीम पर ही चला दिया। भीम की बायीं भुजा पर चोट करती हुई वह शक्ति जमीन पर जा पड़ी। अब भीम ने प्राणों की परवा न करके अपने बाणों से शकुनि की सेना को आच्छादित कर दिया। फिर उसके चारों घोड़ों तथा सारथि को मारकर एक भल्ल से उसके रथ की ध्वजा भी काट डाली। शकुनि तुरंत ही रथ से कूदकर एक ओर खड़ा हो गया और धनुष टंकारा हुआ भीम पर चारों ओर से बाणों की वृष्टि करने लगा। यह देखकर प्रतापी भीम ने बड़े वेग से उसपर आघात किया, फिर उसका धनुष काटकर उसे तीखे बाणों से बींध डाला। बलवान् शत्रु के आघात से अत्यंत घायल होकर शकुनि पृथ्वी पर गिर पड़ा। उसे मूर्छित जानकर आपका पुत्र दुर्योधन आया और उसे अपने रथ पर बिठाकर रणभूमि से दूर हटा ले गया। अब तो कौरव_योद्धा भयभीत होकर चारों दिशाओं में भागने लगे और भीमसेन सैकड़ों बाणों की वर्षा करते हुए बड़े वेग से उनका पीछा करने लगे। उनकी मार से पीड़ित हो वे सब_के_सब योद्धा कर्ण की शरण में गये। महाराज ! उस समय कर्ण ही उनका रक्षक हुआ।